Govardhan Puja Ki Aarti: गोवर्धन पूजा जरूर करें ये आरती, घर में आएगी खुशियां

Govardhan Puja 2024 Kab hai: हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन श्री कृष्ण जी और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधान है. 

 
गोरधन पूजा

Govardhan Puja 2024 Date and Time: हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन श्री कृष्ण जी और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधान है. 

कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस साल गोवर्धन पूजा की डेट को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन भी है. आज हम आपको गोवर्धन पूजा की सही डेट, तिथि, शुभ मुहूर्त बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं...

गोवर्धन पूजा 2024 की सही डेट 

हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर हो रही है. वहीं, इसका समापन 2 नवंबर को रात 8 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है. उदया तिथि के चलते ये त्योहार 2 नवंबर को मनाया जाएगा. 

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर को शाम को रहेगा. पूजा का मुहूर्त 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इस 2 घंटा 45 मिनट की अवधि में आप पूजा कर सकते हैं.

गोवर्धन पूजा का महत्व

हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने उंगली पर उठाकर इंद्र देव की घमंड को चूर-चूर किया था. इसी दिन से गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान-पुण्य करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं. 

  1. करें गोवर्धन महाराज की आरती
  2. ।।श्री गोवर्धन महाराज की आरती ।।
  3. श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
  4. तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
  5. तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
  6. तोपे चढ़े दूध की धार।।
  7. तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
  8. तेरी सात कोस की परिकम्मा,
  9. और चकलेश्वर विश्राम
  10. तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
  11. तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
  12. ठोड़ी पे हीरा लाल।।
  13. तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
  14. तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
  15. तेरी झाँकी बनी विशाल।।
  16. तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।
  17. गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।।
  18. करो भक्त का बेड़ा पार
  19. तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।।

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