Eye Diseases: 2030 एक तिहाई बच्चे हो सकते हैं आंखों की बीमारी मायोपिया का शिकार, ऐसे करें इससे बचाव
Eye Diseases: ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी में एक रिसर्च हुई है. इसमें बताया गया है कि 5 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग एक तिहाई शहरी भारतीय बच्चे 2030 तक आंखों की बीमारी मायोपिया का शिकार हो सकते हैं. मायोपिया एक आम आंखों की समस्या है, जिसमें व्यक्ति को दूर की वस्तुओं को देखने में परेशानी होती है, लेकिन निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है

Eye Diseases: हाल के अध्ययनों से मायोपिया को एक गंभीर बीमारी माना गया है. ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी में एक प्रकाशन से पता चलता है कि 5 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग एक तिहाई शहरी भारतीय बच्चे 2030 तक मायोपिया का शिकार हो सकते हैं.
ऐसा खराब लाइफस्टाइल और लंबे समय तक स्क्रीन का यूज करने से होने की आशंका है. रिसर्च में बताया गया है की भारत में 2050 तक इसकी दर 49% तक पहुंचने की उम्मीद है. मायोपिया आने वाले समय की गंभीर समस्या बन रही है.
मायोपिया एक आम आंखों की समस्या है, जिसमें व्यक्ति को दूर की वस्तुओं को देखने में परेशानी होती है, लेकिन निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है. मायोपिया में दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं.
आंखों की ये समस्या बच्चों में ज्यादा देखी जाती है. कुछ मामलों में ये बीमारी जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है. मायोपिया में दूर की चीजें साफ नहीं दिखती हैं. ऐसे में डॉक्टर नजर का चश्मा लगाने की सलाह देते हैं.
मायोपिया के मामले हर साल बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है.
लोगों को जागरूक करने के लिए पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और ईएनटीओडी फार्मास्यूटिकल्स ने मिलकर एक जागरूकता अभियान शुरू किया है. इसमें पूरे भारत में 3 करोड़ से अधिक माता-पिता, शिक्षकों और बच्चों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाएगा.
मायोपिया को लेकर जागरूकता की कमी
बाल नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जीतेंद्र जेठानी बताते हैं किमाता-पिता को अपने बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य के बारे में सतर्क रहना चाहिए.
मायोपिया से बचाव के लिए नियमित जांच, स्क्रीन एक्सपोज़र को सीमित करना जरूरी है.
अगर लंबे समय तक बच्चे स्क्रीन का यूज करेंगे तो मायोपिया होने का रिस्क बढ़ जाता है. ऐसे में बच्चों को फोन का यूज कम करने दें और उनको बिना वजह फोन या लैपटॉप न दें.
मायोपिया से कैसे करें बचाव
चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से मायोपिया का उपचार किया जा सकता है. लेकिन अगर इससे आराम नहीं मिल रहा है तो लेजर सर्जरी से मायोपिया को ठीक किया जाता है.
कुछ मामलों में कॉर्निया की सर्जरी भी करनी पड़ती है. हालांकि मायोपिया को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए नियमित आंखों की जांच कराएं और स्क्रीन का कम यूज करें.